NSS

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भारत सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी वर्ष 24 सितम्बर, 1969 में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इस आशय के साथ प्रारम्भ की गई कि उच्च शिक्षा से जुड़े विद्यार्थियों में सामाजिक दायित्व चेतना, स्वप्रेरित अनुशासन के साथ श्रम के प्रति सम्मान की भावना उत्पन्न हो । विद्यार्थी अपने रिक्त समय एवं अवकाश का सदुपयोग करने हेतु समाज सेवा करें तथा अपनी शिक्षा की पूर्णता हेतु वास्तविक परिस्थितियों से साक्षात्कार भी कर सकें, जिससे उनके व्यक्तित्व का विकास हो । 

महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की पृथक-पृथक महिला एवं पुरुष दो इकाईयां संचालित हैं। प्रत्येक इकाई में पंजीकृत स्वयंसेवकों की संख्या 100 निर्धारित है। स्वयंसेवकों के दो वर्षों में 240 घंटे के कार्य एवं गतिविधि के आधार पर 'बी' एवं 'सी' प्रमाणपत्र प्रदान किये जाते हैं। साथ ही 'सी' प्रमाणपत्र हेतु स्वयंसेवकों के द्वारा चयनात्मक गतिविधियों के प्रत्येक समूह से कम से कम एक गतिविधि पर स्वयं के द्वारा किये गये कार्य की सामाजिक प्रासंगिकता से संबंधित विषय पर एक प्रोजक्ट रिपोर्ट बनाकर विश्वविद्यालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। स्वयंसेवकों के लिये एक वर्ष में 120 घंटे की अनिवार्य कार्ययोजना एवं समीपस्थ ग्राम में सात दिवसीय एक विशेष शिविर का आयोजन निर्धारित है। अनिवार्य गतिविधियों के 120 घंटे की कार्ययोजना के तहत पूरे वर्ष भर समय-सारिणी के अनुरूप स्वयंसेवक छात्रों के द्वारा जनशिक्षा, साक्षरता कार्यक्रम, पर्यावरण शिक्षा, ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत, प्राथमिक चिकित्सा, रेडक्रास, रक्तदान, नेत्रदान एवं एड्स के विषय में जागरूकता कार्यक्रम, नेतृत्व प्रशिक्षण, वन संरक्षण, नागरिक बोध, यातायात बोध, प्रासंगिक तथा तात्कालिक सामाजिक समस्याओं के संबंध में कार्य सम्पादित किये जाते हैं। वहीं समाज के प्रति दायित्व निर्वहन करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन एवं नशा उन्मूलन के लिए रासेयो स्वयंसेवक कार्यक्रम अधिकारी के मार्गदर्शन में महती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। महाविद्यालय परिसर को स्वच्छ बनाये रखने हेतु नियमित रूप से स्वयंसेवक छात्रों के द्वारा साफ-सफाई की जाती है एवं परिसर में रोपित पौधों की देखभाल, उनमें खाद-पानी एवं उनकी कटाई-छंटाई भी की जाती है। 

राष्ट्रीय सेवा योजना की वार्षिक कार्ययोजना के तहत प्रत्येक वर्ष समीपस्थ ग्राम में दोनों इकाईयों के द्वारा पृथक-पृथक सात दिवसीय विशेष शिविर का आयोजन किया जाता है । इस दौरान शिविर के निर्धारित समय-सारिणी के अनुरूप स्वयंसेवक छात्र प्रातः काल से रात्रि विश्राम तक विविध गतिविधियों को सम्पादित करते हैं। स्वयंसेवकों के द्वारा प्रतिदिन शिविर स्थल पर पी. टी., योग अभ्यास, व्यायाम से उनके दिनों की शुरूआत होती है। तत्पश्चात् उनके द्वारा शिविर ग्राम में विभिन्न कार्यों के लिए सर्वेक्षण कर वयोवृद्ध, विकलांग एवं निराश्रितों की मदद की जाती है। सार्वजनिक स्थलों, पेयजल स्थल, धार्मिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं के आसपास साफ-सफाई एवं शिविर ग्राम में स्वच्छता, साक्षरता का व्यापक प्रचार- प्रसार, सामाजिक बुराई जैसे- बाल-विवाह, दहेज प्रथा, नशाखोरी आदि के निवारण हेतु समूह बैठकों परिचर्चाओं का आयोजन एवं जनजागरूकता रैली निकाली जाती है। शिविर स्थल पर प्रत्येक दिवस मध्यान्ह पश्चात् बौद्धिक सत्र में विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित कर उनके व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं जिससे स्वयंसेवक छात्र-छात्राएं एवं ग्रामवासी लाभान्वित होते हैं। इसी दौरान शिविर स्थल पर ग्रामवासियों के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य शिविर, पशु चिकित्सा शिविर, नेत्र जांच शिविर, विधिक साक्षरता शिविर, यातायात प्रशिक्षण, योग प्रशिक्षण आदि विविध शिविरों का आयोजन किया जाता है। संध्याकाल में स्वयंसेवकों के लिए साधन रहित देशी खेल जैसे- कितने भाई कितने, जाल- मछली, लीडर पकड़, ऐसे कैसे, रूमाल झपट्टा आदि आयोजित किये जाते हैं। रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत गायन, वादन, लोकनृत्य आदि के माध्यम से ग्रामवासियों का मनोरंजन एवं नुक्कड़ नाटकों के द्वारा विविध जन-जागरूकता कार्यक्रम किये जाते हैं।